गेहूँ घास के फायदे: इसे कैसे उगाएं और इस्तेमाल करें | How to Grow Wheatgrass at Home

वक्त की भागदौड़ भरी जीवन शैली में लोग स्वास्थ्य के प्रति पहले से कहीं अधिक सजग हो गए हैं। ऐसे में सुपरफूड्स और कार्यात्मक खाद्य उत्पादों की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। गेहूँ घास (ट्रिटिकम एस्टिवम एल.) इसी श्रेणी में आता है, जिसे एक 'चमत्कारी सूक्ष्म-हरी पौध' कहा जा सकता है। गेहूँ घास के रस का सेवन आजकल एक सुपरफूड ट्रेंड बन चुका है, खासकर उन लोगों के बीच जो प्राकृतिक तरीकों से स्वास्थ्य बनाए रखना चाहते हैं। यह सिर्फ़ एक पौधा नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली प्राकृतिक टॉनिक है। इसमें शरीर को पोषण, विषमुक्त (डिटॉक्स) करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, रक्त की गुणवत्ता एवं पाचन में सुधार करने की अद्भुत क्षमता है। इसके साथ ही यह मधुमेह, कैंसर और मोटापा जैसे रोगों में उपयोगी सिद्ध होता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। गेहूँ घास शरीर को संतुलित करने और संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार लाने में सहायक है। यही कारण है कि आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और आधुनिक पोषण विशेषज्ञ भी इसके लाभों को स्वीकार करते हैं।


गेहूँ घास पोषक तत्वों से भरपूर सूक्ष्म-हरी पौध है। इसका नियमित सेवन स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। यह न केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, बल्कि यह पाचन तंत्र को सुदृढ़ करने, रक्त संचार को संतुलित करने और कोशिकीय स्वास्थ्य में भी सहायक है।



गेहूँ घास के फायदे इसे कैसे उगाएं और इस्तेमाल करें  How to Grow Wheatgrass at Home



औषधीय लाभ

गेहूँ घास में मौजूद क्लोरोफिल को 'हरित रक्त' कहा जाता है, क्योंकि इसकी संरचना हमारे रक्त से काफ़ी हद तक मेल खाती है। इसके क्षारीय गुण शरीर में रक्त की अम्लता को संतुलित कर समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। इसके प्रमुख औषधीय लाभ हैं:

  • कैंसर प्रतिरोधक प्रभाव
  • सूजनरोधी और मधुमेह नियंत्रण में सहायक
  • पाचन सुधारक
  • प्रतिरक्षा तंत्र को सशक्त करना
  • हृदय स्वास्थ्य में लाभकारी
  • शरीर को विषमुक्त करने में सहायक
  • त्वचा और बालों के स्वास्थ्य में सुधार
  • शरीर में ऊर्जा और ताजगी का संचार


इनके अलावा गेहूँ घास में उपस्थित एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे-फ्लेवोनॉइड्स भी शरीर में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय कर कोशिकीय स्तर पर सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसमें मौजूद अमीनो अम्ल, शरीर की ऊतक वृद्धि में सहायता करते हैं। वहीं एंजाइम्स, पाचन में सहायता करते हैं।



गेहूँ घास का वैज्ञानिक विधि से उत्पादन

गेहूँ घास को घर पर ही आसानी से उगाया जा सकता है। इसके लिए गेहूँ के बीजों को लगभग 12 घंटे पानी में भिगोकर गीले कपड़े में बाँधकर अंकुरित किया जाता है। अंकुरित बीजों को ट्रे या गमले में मिट्टी या कोकोपीट में बोया जाता है और छायादार स्थान पर रखा जाता है। इसके उपरांत 12-15 दिनों में 18-22 से.मी. लंबी पत्तियाँ तैयार हो जाती हैं। इनका उपयोग स्वास्थ्यवर्धक पेय या अन्य रूप में किया जा सकता है। ध्यान रखें कि पोषण की गुणवत्ता में कमी आने की वजह से 15 दिनों के बाद इनकी कटाई नहीं की जानी चाहिए।



उपयोग के विविध रूप

गेहूँ घास का सेवन कई रूपों में किया जा सकता है, जो इसे प्रत्येक वर्ग के लिए उपयुक्त बनाता है।

  • ताज़ा रस: यह सबसे प्रभावशाली रूप माना जाता है। इसमें एंजाइम और क्लोरोफिल भरपूर मात्रा में होते हैं। इसे रोज़ सुबह खाली पेट लिया जा सकता है।
  • पाउडर: सूखी गेहूँ घास को पीसकर बनाया गया पाउडर बेहद लाभकारी होता है। इसे पानी, जूस या स्मूदी में मिलाकर लिया जा सकता है। इसके साथ ही इसे लंबे समय तक उपयोग भी किया जा सकता है।
  • टैबलेट/कैप्सूल: यह पोषण प्राप्त करने का एक सुविधाजनक तरीका है। विशेषकर उन लोगों के लिए जो गेहूँ घास के स्वाद को पसंद नहीं करते हैं।
  • जमाया हुआ (फ़्रोज़न) रस: ताज़े रस को जमाकर लंबे समय तक रखा जा सकता है। इससे पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं।
  • अंकुर और सलाद: रॉ फूड डाइट में गेहूँ-धान का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। यह फाइबर और पोषण दोनों प्रदान करता है।
  • त्वचा पर उपयोग: क्रीम, स्प्रे और लोशन के रूप में इसका उपयोग त्वचा की सूजन, संक्रमण और मुँहासों के उपचार में किया जाता है।



उद्यमिता का नया आयाम

गेहूँ घास का उत्पादन किसानों के लिए एक कम लागत और अधिक लाभ वाला विकल्प बनकर उभर रहा है। यह न केवल स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोकप्रिय है, बल्कि इसके उत्पादों की मांग भी लगातार बढ़ रही है। 

शुरुआती स्तर पर किसानों को स्थानीय मांग और प्रतिस्पर्धा का अध्ययन करना चाहिए। मिट्टी या हाइड्रोपोनिक विधि में से किसी एक को अपनाकर उत्पादन किया जा सकता है। बेहतर परिणाम हेतु उचित ब्रांडिंग और प्रचार करें एवं वितरण के लिए योग केंद्र, हेल्थ स्टोर और ऑनलाइन चैनल से जुड़ें। इसके अलावा, खाद्य उत्पादों के लिए FSSAI रजिस्ट्रेशन करवाएँ।



लाभ

कम निवेश के साथ थोड़ी सी जगह, सस्ते बीज और सामान्य उपकरणों से आसानी से शुरुआत की जा सकती है। शीघ्र उत्पादन। 7-10 दिनों में फ़सल तैयार हो जाती है। बाजार में मांग। जूस कॉर्नर, योग केंद्र, हेल्थ ड्रिंक स्टॉल और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इसकी भारी मांग है। विविध उत्पाद के रूप में रस, पाउडर, कैप्सूल और त्वचा उत्पादों में गेहूँ घास का उपयोग होता है।



गुणों से भरपूर

गेहूँ घास, गेहूँ पौधे के कोमल, 15 दिनों से कम उम्र के अंकुर होते हैं। इसका सेवन आमतौर पर जूस या पाउडर के रूप में किया जाता है। इसमें अनेक महत्वपूर्ण पोषक तत्व एवं औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसके प्रमुख घटक निम्न हैं:

  • विटामिन 'ए', 'ई', 'सी' एवं 'बी' कॉम्प्लेक्स
  • मिनरल्स आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, ज़िंक
  • एंटीऑक्सीडेंट्स, क्लोरोफिल, फ्लेवोनॉइड्स, फेनोलिक यौगिक
  • अमीनो अम्ल एवं एंजाइम्स: एमाइलेज़, लिपेज़ और प्रोटेज़
  • गेहूँ घास के 100 ग्राम रस में ऊर्जा-21 के कैलोरी, प्रोटीन -1.95 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट-2 ग्राम, विटामिन 'ए' 427 आई.यू, विटामिन 'सी' 3.65 मि.ग्रा., विटामिन 'ई'-15.2 आई.यू, आयरन 0.61 मि.ग्रा., कैल्शियम-24.2 मि.ग्रा., मैग्नीशियम 24 मि.ग्रा., पोटेशियम-147 मि.ग्रा. जैसे तत्व पाए जाते हैं।



खेती की प्रक्रिया

बीज भिगोना: गेहूँ के बीजों को 8-12 घंटे पानी में भिगो दें, ताकि अंकुरण शुरू हो सके।
बीज बिछाना: भीगे हुए बीजों को कोकोपीट पर समान रूप से फैलाएँ। हल्के से दबाएँ लेकिन मिट्टी से ढकें नहीं।
अंकुरण के लिए ढकना: ट्रे को 2 दिनों के लिए ढक दें, ताकि बीज अँधेरे में अंकुरित हो सकें।
पानी छिड़कना: नियमित समय पर बोतल से हल्का पानी छिड़कें, ताकि नमी बनी रहे।
प्रकाश देना: 2 दिनों बाद ट्रे को खोलें और उसे हल्की धूप वाली जगह पर रखें। रोज़ हल्की फुहार के रूप में पानी छिड़कते रहें।
कटाई: 6-8 दिनों में गेहूँ घास की लंबाई 6-8 इंच हो जाएगी। कैंची से काटकर इसका रस निकालें या सुखाकर पाउडर के रूप में सेवन करें।



सूक्ष्म-हरी पौध 

सूक्ष्म-हरी पौध वे कोमल, पोषण से भरपूर पौधे होते हैं, जिन्हें बीजांकुर अवस्था के बाद की वास्तविक पत्तियाँ के निकलने पर काटा जाता है। इनमें उच्च मात्रा में विटामिन एवं मिनरल, शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही, इनका स्वाद, रंग और सुगंध व्यंजन में विशेष आकर्षण प्रदान करते हैं। ये पौधे न केवल व्यंजन की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि स्वास्थ्य को भी नए आयाम प्रदान करते हैं।


भविष्य में गेहूँ घास के औषधीय गुणों पर और अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में इसके योगदान को और वैज्ञानिक रूप से समझा जा सके। गेहूँ घास प्रकृति का एक सरल, लेकिन प्रभावशाली उपहार है।

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